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Lockdown 2021 -Hindi -भाग कोरोना भाग

lockdown-2021

Lockdown 2021 -भाग कोरोना भाग  ...............

By Naren Narole

कोरोना को भगाना है तो एक पेटी नहीं एक खोका नहीं एक वझे लगेगा ,क्या समझे ?समझ नहीं आया लगता वझे मतलब पुरे सौ करोड़ हर महीने में। अभी ये चल रहा है मार्केट में। नया है यह। .. हा…..  हा।

कोरोना रोकना है तो लॉकडाउन लगाओ यह अपने जैसे गरीब देश को नहीं जम पायेगा। गरीब बोल रहा हु वैसे हमारा देश अभी गरीब नहीं है ,दिखता गरीब है पर असल में नहीं है।

कुछ लोगो ने गरीब बना रखा है। वैसे यह लोग हर क्षेत्र में  फैले हुए है। पर अभी में प्रदेश के  राजनितिक  पक्ष और विपक्ष की ही बात कर रहा हु।

हमारा विपक्ष अभी अभी कुछ साल से सत्ता में रह चूका है। युवा विपक्ष कह सकते है । आज़ादी के बाद उसे काफी समय मिला, सत्ता से दूर रह कर उसने काफी पढाई की और ऐसी महारत हासिल की ,की आप  उनका भ्रष्टाचार आसानी से पकड़ नहीं पाओगे। 

वही हमारा अनुभवी पक्ष अभी भी पुराने तरीके ही अपना रहा है जो की आसानी से पकड़ में आ जाता है।

सभी पक्ष और विपक्ष वैसे तो जनता की सेवा करने ही आये है। पर अभी पहले मेरा घर मेरी जिम्मेदारी चल रहा है।

मेरी सरकार मेरी जिम्मेदारी कहा गायब हो गया पता नहीं । हम सभी को भी अपनी जिम्मेदारी उठानी है आपका भी घर है की नहीं।

जब कोरोना का कुछ भी इलाज या टिका नहीं था तब लॉकडाउन लगाया, इसे एक बार मान भी लेते है। गलतिया इंसान से ही होती है ,पर गलतियों से जो ना सीखे वो इंसान होते है की नहीं यह आप ही सोच लो।

कुछ लोग कह रहे है अभी लॉक डाउन लगाना याने कार होने के बावजूद बैलगाड़ी में जाने जैसा है।

शादी होने के बाद भी बाहर खाना जाना पड़े ऐसा है। पढाई पूरी होने के बाद भी परीक्षा रद्द होने जैसा है। पंचपकवान होने के बाद भी अचार से पेट भरने जैसा है

ऐसा बहुत कुछ मिल जाएगा ऑनलाइन। आपको भी मिला होगा व्हाट्सअप पे ,सच बताओ देखे हो की नहीं ऐसे संदेश। …..

राजनितिक लोग भाषण बढ़ा अच्छा देते है।

जो डॉक्टर्स ने पूरा पिछला साल अपनी जान की बाजी लगाई ,उनको अब धमकी दे रहे है की ड्यूटी पर आओ नहीं तो वारन्ट निकालेंगे ,गिरफ्तार करेंगे। जैसे की डॉक्टर्स को अपनी जान की, अपने परिवार के जान की ,परवाह ही नहीं करनी चाहिए।

सरकार कुछ भी लिखित बीमा या विश्वास नहीं दे रही है की अगर डॉक्टर्स या  हेल्थ वर्कर्स की जान चली जाए तो उनके परिवार को क्या मदत करेंगे।

वैसे भी हमने देखा ही है की पुलिस विभाग का क्या हाल है जो पुलिस ऑफिसर ने अपनी जान कोरोना में दी उनके परिवार को क्या मिला है ।

कुछ नए डॉक्टर्स और हेल्थ वर्कर्स को सरकार ने ड्यूटी पर लगाया था ,पर जैसे ही कोरोना का प्रभाव कम दिखा ,उन्हें टाटा बाय  बाय कर दिया जैसे इन्हे पता था की कोरोना फिर से आने वाला ही नहीं है ।

वैसे तो ज्यादा तर डॉक्टर्स अस्थायी है जिनको निम्न तनख्हा  सरकार से दी जाती है।

उन्हें स्थायी करने की बात कानो तक जाती है पर सरकार के दिल और दिमाग तक नहीं जा पाती है।

डॉक्टर्स भी कई तरह के होते है ,पर MBBS के डॉक्टर्स को जितना तन्ख्हा देते है ,वह भी कम ही देते है ,पर अन्य डॉक्टर्स को  उसका भी आधा ही देते है।

अब जरा सरकार थोड़ा चेक कर ले की कोनसे डॉक्टर्स कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे है।

में यहाँ डॉक्टर्स के शाखा से उच्च और निम्न यह झगड़ा करने नहीं बोल रहा हु। हर डॉक्टर ने बहुत मेहनत से डॉक्टरी हासिल की है फिर इतना भी वेतन में अंतर बराबर नहीं है। अब अगर डॉक्टर्स इस बात पर अड़ जाए तो क्या हल निकलेगा। 

वही राजनितिक लोग समाचार पत्र में कार्टून निकाल कर ,लेख लिख कर ,फोटोग्राफी कर के ,वकील की डिग्री लेके ,स्कूल कॉलेजेस खोल के ,छोटी बड़ी कंपनी चलाके सिर्फ  करोड़पति नहीं करोडो के पति बन जाते है।

और बिना सिरपैर के मुद्दों को उठाके जनता को लड़ाती रहते  है।

धमकिया देने से अच्छा किसी  सेंटर पर अपनी सेवा देते तो जनता को कितना अच्छा लगता।

आप सुरक्षित रह कर सिर्फ भाषण दो। गांव के हेल्थ सेंटर्स पर इतनी भीड़ हो रही है की कोई संभाल नहीं पा  रहा है फिर डॉक्टर्स और उनका स्टॉफ कोरोना से कैसे बचेगा ।

है कोई उपाय। वहा राजनितिक कार्यकर्ता क्यों नहीं मदत कर रहे है। कोई पैकेज नहीं निकला है अभी तक उसके लिए।

राजनीती जहा चाहेगी वहा ही कोरोना फैलता है ,जैसे की इन दोनों के बीच कुछ साठगांठ हो।

कुछ राजनेता तो अभी भी जातिगत राजनीती में ही लगे रहे है।

सरकार ने अनुसूचीत जन जाती या पिछड़ा वर्ग के लिए बिजली के कनेक्शन के लिए प्राथमिकता का अध्यादेश जारी कर दिया है।

अब आप लोग बिजली पानी अन्न के लिए भी जातिगत राजनीती चालू कर दोगे। क्या कोई रिपोर्ट आयी है की अनुसूचीत जन जाती या पिछड़ा वर्ग के लिए बिजली के कनेक्शन नहीं मिल रहे है फिर इस अध्यादेश की क्या जरूरत थी भाई कोई बताएगा।

अभी इंजीनियरिंग कॉलेजेस से कोई कमाई नहीं हो रही है तो सभी राजनितिक लोग इंजीनियरिंग कॉलेजेस बंद कर के नर्सिंग ,फार्मेसी ,डॉक्टर्स के लिए कॉलेजेस खोल रहे है।

कोरोना बढ़ेगा तभी सरकार उनको सहमति प्रदान करेगी। जरा देखो कितने सरकारी कॉलेजेस है और कितने राजनितिक लोगो के प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष कॉलेजेस है।

क्रिकेटर्स क्रिकेट खेल रहे है ,एक्टर्स  फिल्म बना रहे है,राजनेता चुनाव में बड़ी रैलीज निकल कर भाषणबाजी कर रही है पर आम आदमी कुछ करने जाए तो कोरोना आ जाता है बीच में।

जहा चुनाव है वाहा भी सरकार दिखा सकती थी की वो कितना प्रयास कर रही है कोरोना को खत्म करने के लिए।

सभी उम्मीदवार अपना यूट्यूब चैनल बनाते और अपनी बात दुनिया के सामने रखते ,टीवी पर इश्तेहार देते सभी लोग देखते और यहाँ भी रोजगार मिल जाता कुछ युवावर्ग को ,और फिर जनता चुनाव में अपना वोट देती,  पर नहीं देश के छोटे से लेके बड़े से राजनितिक को भीड़ ही चाहिए।

इसमें चुनाव के बाद क्या हालात रहेंगे यह बता पाना मुश्किल है।

बिहार के चुनाव हुए वाहा की कोरोना की रिपोर्ट कुछ ख़ास नहीं आ रही है। मतलब सभी को कोरोना भी हो गया और वो लोग स्वस्थ  निरोगी  भी हो गए है।

सब राजनीती की माया है।

कोरोना बढ़ने के पीछे के कारण पता करने चाहिए और उसके अनुसार कारवाई करनी चाहिए।

अभी रस्ते पर पुलिस क्यों नहीं दिख रही है। एक भी इंसान बिना मास्क ,फेस शिल्ड के दिखा तो उसके ऊपर कारवाई क्यों नहीं हो रही है।

कोरोना को काबू करना है तो उन सभी अनपढ़ गवारो को जो रास्तो में बिना कारन फैले हुए है  उनको रास्तो पर झाड़ू लगाने की सजा दो। 

दूकान या कारखाना या कोई भी उद्योग करने वालो को अपना लसीकरण का प्रमाणपत्र दिखाना होगा ,वो किसी भी आयु वर्ग का क्यों न हो।

सभी छोटे बड़े उद्योग चालू करो बस चलाने वाला और उनके यहाँ काम करने वाला और उनसे खरीदने वाला, सभी तरह के नियम का पालन करेंगे। 

जैसे आप होटल में या बाहार  ढाबे पर या टपरी पर  फेस शिल्ड पहन कर भी खा सकते है। फिर होटल आप रात ११ बजे तक चलाओ क्या प्रॉब्लम है।

दूकान में ग्राहक कितने आएंगे यह आपकी दूकान कितनी बड़ी है उस पर निर्भर है। दूकान के बाहर गार्ड्स को जॉब दो, वो बराबर उतने ही लोगो को अंदर भेजेगा। कुछ लोगो को रोजगार मिल जाएगा।

सभी लोगो की  चेकिंग होगी की किसने टिका लगाया है या नहीं।  टिका नहीं तो कुछ नहीं मिलेगा।

यह सभी पे लागू करना होगा। ठेला भी लगाया होगा तो भी,शादी में जाना है ,फिल्म देखना है ,मॉल में जाना है ,पढ़ाने स्कूल में जाना है,सरकारी दफ्तर जाना है ,प्राइवेट ऑफिस जाना है ,सफर करना है ,बगीचे में घूमना है ,और इतर अन्य सभी कामो के लिए  टिका लगाना पड़ेगा नहीं तो घर पर ही बैठो।

यह बीमारी धर्म देख कर नहीं हो रही है ,कोई कहे की मुझे नहीं लगानी है कोई टिका तो घर पर ही रहो। 

टिका लगाने का ट्रेनिंग दो उसके लिए भी कोई डिग्री की आवश्यकता ना रखो नहीं तो वाह भी भ्रष्टाचार चालू।

नए रोजगार निकालो। ये सब करने के लिए भी लोगो को जॉब दो। 

कर सकते क्या ऐसा अगर हा है तो में मान लूंगा की सरकार कोरोना को भगना चाहती है। नहीं  तो बस कोरोना को बढ़ा के पैसा कमाना चाहती है यही सच हैं।

इतना बताना है की जनता को मुर्ख ना समझो सब को दिखता है की आप और आप के चाटुकार क्या कर रहे है आखिर सरकार भी तो इंसान ही चला रहे है कोई दूसरे ग्रह के प्राणी नहीं है।

हमारी जनता स्वभाव से बहुत सयंमी है। पर सब्र की इंतेहा ना देखो।