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Peace

अंतिम क्षण में होने वाले ५ मुख्य खेद -2021

The Top Five Regrets of the Dying :

अभी कुछ दिन पहले ही ,थोड़ी देर के लिए मुझे ऐसे लगा की मेरी साँसे उखड रही है। में कुछ बोल नहीं पा रहा था ,किसी को बुला भी नहीं पा रहा था। ऐसे लगा की मेरा वक़्त ख़त्म सा हो गया है। मेरी आँखो से आँसू बह रहे थे। में अपने बेड पर ही पड़ा था।

वह तीस मिनिट में ,मेरे पूरे जीवन का सारांश मेरी आँखों के सामने था। तभी कुछ देर जोर से साँस लेने का प्रयास किया ,कुछ जोर से ख़ास कर मैंने मेरी श्वसन क्रिया को पूर्ववत करने की कोशीश की। थोड़ी देर में मुझे ठीक महसूस हुआ।

जो क्षणिक विचार मेरे मन में उठे ,तब मुझे लगा की जो लोग अपने अंतिम साँसे ले रहे होंगे ,वो क्या सोच रहे होंगे। फिर ऑनलाइन सर्च करने पर एक किताब के बारे में मैंने पढ़ा जो की जीवन के अंतिम क्षण में रहने वाले खेद के ऊपर थी।

आप सभी से एक प्रश्न है , क्या आप सभी अपने अब तक के जीवन से खुश है?  क्या आपने वो सब हासिल कर लिया है जो की आपका जीवन लक्ष्य था ? क्या हम इंसान कभी दिल से यह कह सकते है की “में अपने  जीवन से खुश हु  ” ?  “क्या  मुझे वो सब हासिल है जो मुझे ख़ुशी देता है?”

हम भविष्य से अनजान है।  हम कब तक जीने वाले है ,यह हम में से किसी को नहीं पता  है।हम आज की ख़ुशी के पल पर ध्यान नहीं देते है। वो ख़ुशी का  पल जीते हुए भी हम उसे महसूस नहीं करते।

हम रोज ऐसे काम करते रहते है जो की हमें लगता है की आने वाले सालो में हमें ख़ुशी देगा। पर जब वो वक़्त आता है जिसके लिए हमने खूब मेहनत किया होता  है ,तब हमें कुछ और चाहिए रहता है। यह स्थिति हमेशा बनी रहती है और शायद हम कभी खुश ही नहीं हो पाते है।

अक्सर मोटिवेशनल स्पीकर्स  से  हमे  सुनने में आता है ,की हमें ऐसे जीना है की  जैसे आज का दिन ही हमारा  आखरी दिन हो। सोचो  अगर मेरे पास कल नहीं है ,आज ही मेरा आखरी  दिन है तो आज में वह सब कुछ करना चाहूँगा  जो में दिल से चाहता हु।

पर हम सब को लगता है की कोई और मरने वाला होगा। मेरी तो अभी उम्र ही क्या है ? में  तो रोज सभी तरह की  एहतियात बरतता हु। रोज व्यायाम करता हु ,अच्छा भोजन करता हु ,सभी तरह की दवाईया भी लेता हु ,मतलब मुझे कुछ नहीं होने वाला है। और फिर में लगा रहता हु अपने काम पर जैसे की मुझे अमरत्व प्राप्त हो ।

हम में से कोई भी यह नहीं सोचता है की आज उसका आंखरी दिन हो सकता है ।  लेकिन जब आदमी को सच में अपना अंतिम समय नजर आता है तब उसे क्या लगता होगा । क्या हमने या आपने सोचा है की क्या मरने से पहले क्या लगता होगा।या किस बात का खेद इंसान मरने से पहले जताता होगा।

ब्राऊनि  वरे  (Bronnie  Ware) नामक एक महिला ,ऑस्ट्रेलिया में  एक अस्पताल में नर्स का काम करती थी। नर्स के पेशे में उस महिला का काम उन लोगो का ख्याल रखना था , जो की अपना आखरी समय बिता रहे थे। तब उस नर्स ने अलग अलग मरीजों से बातचीत से  यह जाना की हर मरते इंसान को उसके जीवन में कुछ खेद (regrets ) थे ।

सभी मरीज अलग अलग उम्र के,अलग पृष्ठभूमि से संबंधित थे। सभी के  हालात अलग  थे। पर उन सभी के उनके  जीवन के  खेद (regret) कुछ हद तक  समान ही  थे। उन्ही में  से पांच प्रमुख  खेद  ब्राऊनि ने  अपनी किताब  The Top Five Regrets of the Dying में लिखे  है। जो की  निचे दिए गये है।

 

  • काश मैं ने अपनी जिंदगी में यह नहीं  सोचा होता की लोग  क्या कहेंगे .
  • काश मैं ने अपनी जिंदगी में इतना काम ना किया होता .
  • काश मैं ने अपनी जिंदगी में अपनी भावनाऔ को व्यक्त किया होता या  बता पाता.
  • काश मैं अपनी जिंदगी में सभी दोस्तों के सानिध्य  में रहता.
  • काश मैं ने अपनी जिंदगी में अपने आप को खुश रहने दिया होता.

 

“काश मैंने अपनी जिंदगी में  ” यह शब्द  अंतिम समय पर सभी के होठो पर थे।

“काश मैंने अपनी जिंदगी में  यह नहीं  सोचा होता की लोग  क्या सोचेंगे क्या कहेंगे”

बचपन से यही सुना था  की बेटा ऐसे मत करो ,ऐसे कपडे मत पहनो ,ये मत खेलो ,ये मत पढ़ो दुसरो के बच्चोंको  देखो क्या कर रहे है ,उनके जैसे बनो ,उनके जैसे काम करो नहीं तो लोग क्या कहेंगे। 

आप ने ऐसी जॉब करनी है ,ऐसी नहीं करनी है ,फिर से लोग क्या कहेंगे।अपना जूनून ,अपनी पसंद  अलग रखो ,क्योंकि लोग क्या कहेंगे। जिस किसी के साथ शादी करने का मन था उसके साथ नहीं करनी है ,क्योंकि लोग क्या कहेंगे।जो भी मन करता था वो नहीं किया, क्योंकि लोग क्या कहेंगे।

अगर पूरी जिंदगी यही सोचते रहेंगे की लोग क्या कहेंगे तो  मरते वक़्त हमें जरूर लगेगा की, कहा है वो लोग जिनके वजह से आज तक हमने अपने मन के हिसाब से अपनी जिंदगी नहीं बिताई। प्रश्न यही रहेगा की क्यों लोग क्या कहेंगे यही सोच कर हमने कुछ नहीं किया।

मौत को करीब आते देख मन में यह बात जरूर आती है की ,काश इतना काम ना किया होता।  थोड़ा वक़्त अपने माता पिता को दे पाता।काश मैंने अपनी जीवनसंगिनी के साथ ज्यादा वक़्त बिताया रहता।काश में अपने बच्चो का बचपन देख पता। उन्हें बढ़ते हुए देख पाता।यह सब ना करते हुए सिर्फ कल की ख़ुशी के लिए ,जो की मिलेगी या नहीं मिलेगी उसके लिए परिवार से दूर रहकर सिर्फ पैसे कमाता रहा।

यहाँ मुझे ये  कहना नहीं है की आप ज्यादा मेहनत न करो ,पर अपने भविष्य के लिए  पैसा कमाने के चक्कर में आप वो पल ही खो दो जिन्हे आप दोबारा नहीं जी पाओगे।

हम सभी को अपनी लाइफ को प्लान करना होगा। जो लोग आपके दिल के करीब है उनके लिए वक़्त निकालना होगा। जिनके भविष्य के  लिए पूरा जीवन खर्च कर दिया ,उनको आप से कुछ लगाव ही नहीं रहा तो आप क्या करोगे। 

जीवन भर अगर आप उनके लिए सिर्फ एक बैंक बन कर रह गए होंगे ,तो वो लोग बड़े होकर दूसरा बैंक ढूंढ लेंगे।

आप के माता पिता आपको बड़ा होते देखना चाहते थे पर आप इतने व्यस्त थे की आप उन्हें सिर्फ जब वो बीमार हो जाते है या आंखरी साँसे गीन रहे होते है तभी उनके सामने जाते हो ,तब क्या आपको वो प्यार कर पाएंगे। नहीं ना।  

एक बार वक़्त बीत गया तो  वो पल फिर से ना आएगा।कितना भी अच्छा फोटो फ्रेम लगा लो या अच्छे हार चढ़ाओ ,जो गया वो कभी लौट कर नहीं आने वाला है। तो वक़्त है अभी अपने लोगो के साथ समय बिता लो।

जीवन के हर पड़ाव में  बहुत से भावनाएं हमारे मन मस्तिष्क में उत्पन्न होती है। पर हम सभी भावनाएं खुल कर नहीं बता पाते है। 

फिर सच में यह ख्याल या खेद आता है की ,काश में अपनी फीलिंग उसे बता पाया होता। इस तरह का खेद हम  सभी को  होता है। हम सभी के जीवन में  ऐसा पल आता है की लगता है की काश में अपनी भावनाओ को व्यक्त कर पाता ,जिसे बताना चाहते है उसे बता पाता। हम बहुत कुछ अपने दिल में ही छुपाये रखते है।

हम अपने माँ पिताजी को  यह भी नहीं बता पाते की हम उनसे  कितना प्यार करते है। हम अपने बहन भाई को भी यह नहीं बता पाते की, उनका होना  हमारे जीवन में कितना महत्व रखता है। यह हम कभी बोल नहीं पाते है।

हम अपने बहन भाई के साथ कभी ,या ज्यादा तर कठोर बर्ताव क्यों करते है हम यह उन्हें नहीं समझा पाते है। हम चाहते है की वो अपने पैरो पर खड़े हो जाए ,अगर हम आगे जीवन में उनसे बिछड़ जाए तो वो हमारे सिवाय जीवन जी सके न की गम में अपनी जिंदगी बर्बाद कर ले। पर यह समझाना भी कठिन होता है।

हम अपने जीवन में क्या करना चाहते है ,यह भी हम खुल कर नहीं बता पाते। जीवन में जैसे जैसे हम उम्र में बढ़ते जाते है ,वैसे ही कुछ ख़ास लोगो को पसंद करते है। 

जैसे की बचपन में हमारी टीचर जो की हमें बहुत पसंद होती है ,हमारी कक्षा में पढ़ने वाली कोई लड़की या किसी और कक्षा में पढ़ने वाली लड़की ,इसी तरह लड़कियों को भी  कुछ लडके अच्छे लगते है।

यहाँ में आकर्षण की भी बात नहीं कर रहा हु। अगर सिर्फ दोस्ती ही हो जाए तो भी काफी होता है। पर उस चाहत को अब भी बया नहीं कर सकते। 

ऐसी बाते  हम दिल में ही दबा के रखते है, शायद वो भी आपसे प्यार करता या कराती होगी , पर ना आप बोल पाए और ना ही वो बोल पाए। फिर जीवन में आखरी समय में लगता है की काश एक बार अपनी भावना व्यक्त कर दी होती।

कभी कभी क्या बात से हमें बुरा लगा या कोन सी बात हमें अच्छी लगी यह भी हम नहीं बता पाते।

 रोजमर्रा जीवन में अनगिनत लोगो से मिलते है पर कभी भी जो भी बात हमें बुरी लगी ,हम उसके बारे में नहीं बोलते ,सोचते है की वक़्त आने पर बोलेंगे पर वो वक़्त नहीं आता है ,और हमारी बीच की गलतफ़हमी हमेशा बनी रहती है।

हम अच्छे दोस्त बन सकते थे पर ना उन्होंने कोशिश की और ना हमने कोशिश की। हमारी गलतफ़हमी दूर हो जाए और अच्छे दोस्त की तरह जीवन बिताये। अंतिम क्षणों में हमे याद आता है की काश तभी बोल दिया रहता ,या तो वो सुनने के लिए सामने नहीं होता है ,या हम बताने के हालात में नहीं होते है।

अंतिम सास लेने के पहले का वक़्त बहुत ज्यादा नहीं होता है पर उसमे पुरे जीवन का सार आपके आँखों के सामने आ जाता है। हमारे जीवन में सबसे ज्यादा अगर हमने किसी पर भरोसा किया होता है तो वो सिर्फ हमारे मित्र होते है। 

लोग तो बहुत मिल जाते है पर उनमें से दोस्त कुछ ही होते है। मरते समय ऐसा लगता है की काश जिंदगी भर में मेरे सारे दोस्तों के  सानिध्य में रहता

याद करो आपकी पहली कक्षा से अब तक कितने दोस्त बने थे। अब कितने दोस्तों के साथ आप अब भी मिल पाते हो। तब वो दोस्त आपके लिए सब कुछ था पर जैसे ही वो कही और चला गया या आप कही और चले गए तो हमने कितने बार उसको ढूंढने की ,उससे मिलने की कोशिश की ? 

जीवन में अपनी मन की बात घर पर नहीं बताई होगी पर दोस्त को सब पता होता था। कुछ भी हो जाने पर दोस्त हमेशा साथ खड़ा था। पैसो से मदत न कर पाया होगा पर आपके साथ हर जगह साथ  रहता था । जब भी उसको बुलाते तो हमेशा वो दौड़ा आता था।

कभी कभी किसी कारन वश वो हम से दूर हो जाते है, उनके बिना रह पाना मुश्किल हो जाता है पर हम सोचते है की वो आएगा, या कभी मिलेगा  तब बात कर लेंगे ,तब मिल लेंगे पर ऐसा नहीं हो पाता।दूसरे दोस्त मिल जाते है और हम भी बचपन के दोस्त को भूल जाते है।

दोस्त अगर दूर है तो उससे फोन पर बात कर लो ,उससे मिलने की प्लानिंग करो ,क्योंकि एक बार हम सोचते रहे तो वो पल दुबारा नहीं आता है। 

कभी कभी तो बाद में पता चलता है की वो तो अब इस दुनिया में है ही नहीं। दिल ही दिल में हम रो लेते है। ऐसा वक़्त किसी के ऊपर ना आये ,मिल लो अपने मित्र से एक अलग  सुकून हासिल हो जाएगा।

हमारी ख़ुशी क्या है यह हमें पता होती है। पर आखरी समय हमें लगता है की काश मैंने अपने आप को खुश रहने दिया होता। हमे सच में पता रहता है हमें क्या करने से ख़ुशी मिलती है। 

पर हम अपनी ख़ुशी किसी और के साथ जोड़ देते है। हमारे कार्य से  माता पिता को ख़ुशी होगी ,हमारे परिवार के सदस्य को ख़ुशी होगी ,समाज के लोगो को खुशी होगी ,वही हमारी भी ख़ुशी होंगी ,यहाँ तक हम सोचते रहते है।

दुसरो को खुश करने के चक्कर में हम अपनी ख़ुशी ही भूल जाते है। दुसरो को खुश करते करते ,जब वो लोग ही नहीं रहते है। तब हमें पता चलता है की हम तो खुद के लिए जीए ही नहीं। में ने खुद से कुछ बात की ही नहीं।

आया तो इस दुनिया में अकेला ही था जाऊँगा भी अकेले पर रिश्तो के बंधन में ऐसा फस गया की वो रिश्तो का बोझ कभी अपने मन से हटा ही नहीं पाया।

 लोग मुझे स्वार्थी बोलते वो भी चल जाता पर जो मै करना चाहता था काश कर जाता तो मुझे कुछ और ही ख़ुशी मिल जाती।तो यारो आज वक़्त मिला है तो कर लो जो करना चाहते हो।

जीवन के अंतिम समय मै ऐसा कभी नहीं लगता है की यार टाटा, बिड़ला, अंबानी ,अदानी के जितना पैसा कमा नहीं पाया।

ऐसा नहीं लगता है की और दो चार बंगले और बना लेता। और कुछ शौक ज्यादा कर लेता। पर जो लगता है वो  बस वही है जो ऊपर लिखा है। 

ऊपर जो जीवन के अंतिम क्षण के खेद लिखे है वो पूर्ण करना वाकई कठिन काम नहीं होता है। उनके लिए बहुत धन की भी आवश्यकता नहीं होती है। पर हमारी परवरिश ही ऐसी की जाती है की हम जीवन को जीना ही भूल जाते है।

सब कुछ हमारे  आजुबाजु में ही होता है। उसके लिए ज्यादा पैसा या ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी होती है। बस जीवन के शुरुआत में यह सब बताने वाला कोई हो, क्योंकि खुद हो के यह बाते सभी को तब पता चलती है जब वक़्त निकल गया होता है।

तो आपके पास आज का समय है। कर लो जो नहीं किया है। कर लो जो करना चाहते हो। 

और एक बात अपने स्वार्थ के लिए किसी का अच्छा न कर सको तो भी कोई बात नहीं ,ऐसे वक़्त कुछ भी न करो ,पर जानभूझ कर किसी का बुरा मत करो, क्योंकि हमारे कर्म  का हिसाब इसी दुनिया में होता है ,जो की धर्म से नहीं होता है । 

जन्नत कही और नहीं यही धरती पर ही है ,आपको उपरवाले ने दिमाग के साथ धरती पर भेजा है उसका सही इस्तेमाल करोगे तो यही जन्नत है और नहीं कर पाए तो यही जह्हनुम है।